Valentine's Day shayri
दिन बा दिन बढ़ता रहा, वक़्त इंतज़ार का फिर आ के फरवरी पे अटका , मामला इकरार का ना मौसम का मोहब्बत से ताल्लुक़, ना राब्ता इज़हार का फिर रहा दरमियां बाकि, मुद्दा क्या तकरार का मान ले अब इल्तेज़ा, ले फरवरी भी आ गई बस भी कर अब खत्म कर दे ,सिलसिला इनकार का राब्ता - relation, connection इल्तेज़ा - request ©meri shayri 2020 sunil sharma, all rights reserved