उल्फ़त शायरी, ulfat shayari

चन्द तस्वीरों में है बाकि उल्फत के निशां
किताबों में सूखा कोई गुलाब मेरे पास नहीं

सबब खुद ही बना अपनी तबाही का मैं
इल्जाम तुझ पे कोई आये मुझे रास नहीं


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