आदत इबादत की मेरी जाती नहीँ
आदत इबादत की मेरी जाती नहीँ
हद से ज्यादा दिल्लगी मुझे भाती नही
जुस्तजूँ बस इक तेरी है और एक तू है
जो जाती है तो लौट के आती नही
©meri shayri 2020 sunil sharma, all rights reserved
हद से ज्यादा दिल्लगी मुझे भाती नही
जुस्तजूँ बस इक तेरी है और एक तू है
जो जाती है तो लौट के आती नही
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