Shayari on chaand, चाँद पर शायरी
वो कहता है चाँद में भी दाग़ है सुनील
मग़रूर इतना है अकड़ में मदहोश है
ग़ुरूर चाँद का है मुनासिब अगर मेरी मानो
तुम दाग़ ही देखते हो तुम्हारा दोष है
©meri shayri 2020 sunil sharma, all rights reserved
मग़रूर इतना है अकड़ में मदहोश है
ग़ुरूर चाँद का है मुनासिब अगर मेरी मानो
तुम दाग़ ही देखते हो तुम्हारा दोष है
©meri shayri 2020 sunil sharma, all rights reserved
Nice
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