Valentine's Day shayri
दिन बा दिन बढ़ता रहा, वक़्त इंतज़ार का
फिर आ के फरवरी पे अटका , मामला इकरार का
ना मौसम का मोहब्बत से ताल्लुक़, ना राब्ता इज़हार का
फिर रहा दरमियां बाकि, मुद्दा क्या तकरार का
मान ले अब इल्तेज़ा, ले फरवरी भी आ गई
बस भी कर अब खत्म कर दे ,सिलसिला इनकार का
राब्ता - relation, connection
इल्तेज़ा - request
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