मोहब्बत


                       उसकी गलियों से गुज़रा हूं कई बार
कई बार जी भर के  देखा है दूर से

कोई आइना दे आए उस महजबीं को
कि हो गई मोहब्बत जन्नत की हूर से

 



     


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