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Valentine's Day shayri
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दिन बा दिन बढ़ता रहा, वक़्त इंतज़ार का फिर आ के फरवरी पे अटका , मामला इकरार का ना मौसम का मोहब्बत से ताल्लुक़, ना राब्ता इज़हार का फिर रहा दरमियां बाकि, मुद्दा क्या तकरार का मान ले अब इल्तेज़ा, ले फरवरी भी आ गई बस भी कर अब खत्म कर दे ,सिलसिला इनकार का राब्ता - relation, connection इल्तेज़ा - request ©meri shayri 2020 sunil sharma, all rights reserved
Dosti shayri
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ना वो आफरीन अंदाज ना वो रवायतें ना दोस्तों की नवाजिश ए मुलाक़ात रही मुख्तसर होती रही बाते दिन ब दिन ना खाली दिन ना सुकून भरी रात रही ना कभी मिलना ना मिल के झगड़ना ना पहले सा हुज़ूम ना वो जमात रही यूँ तो कहने को आया करते है रोज मगर ना इस महफ़िल मे पहले वाली बात रही मुख्तसर - short, brief आफरीन - alluring नवाजिश - kindness हुजूम - gathering, crowd ©meri shayri 2020 sunil sharma, all rights reserved