सफ़र





मुश्किल था सफ़र मंजिल भी दूर थी
मेहनत थी हाथ में  किस्मत मजबूर थी

ख्वाहिशों ने मेरी मुझे बदल दिया

हो जाए मुकम्मल उस और चल दिया 

 

Comments

Popular posts from this blog

वस्ल की रात vasl ki raat